शनिवार, 10 दिसंबर 2011

कुरसी धन, धरती रन उगले

कुछ भी हो भाई अब यह बात एक सौ एक फीसदी प्रमाणित हो गई कि अपने मध्यप्रदेश जैसी उर्वर धरती हिंदुस्तान में तो क्या पूरी दुनिया में कहीं नहीं है। दुनिया वाले अपने-अपने उत्पादन का बखान करते रहें, अपने को खां कहते रहें, लेकिन वे अपने प्रदेश के पसंगे भी नहीं हैं। है किसी माटी में दम कि पचास ओवर के खेल में दो-दो दोहरे शतक उगल दे। दो तो क्या एक भी दोहरा शतक पैदा कर दे तो बंदा उस जमीन की गुलामी करेगा। किराए से ही रहना है, यहां रहकर वहां रहेगा। अब उन लोगों को चाहिए कि वे चुल्लू भर पानी में डूब मरें जो यह कहते थे कि यह धरती क्रिकेट मैच के लायक नहीं है, बंजर हो गई है, बांझ हो गई है। जिन देशी-विदेशी खिलाड़ियों ने इस धरती का अपमान करते हुए मैदान छोड़ा था और फिर वर्षों यहां क्रिकेट का मैच नहीं हुआ था, उन्हें चाहिए कि इस धरती के पांव पकड़कर माफी मांगें। अगर यह माफ कर देगी तो अगला कीर्तिमान उन्हीं के नाम होगा।

अपनी
धरती है भी अजीब। कभी तो इसका मिजाज ऐसा था कि यह बल्लेबाज के मुंह पर गेंद उसी तरह मारती थी जैसे बिना दान-दक्षिणा के कलेक्ट्रेट का बाबू मुंह पर फाइल मारता है। अब देखिए कि वह बल्ला छूकर सीधे सीमा रेखा की तरफ भागती है। क्षेत्ररक्षक गेंद पकड़ने की लाख कोशिश करे तो भी पकड़ में नहीं आती। जैसे पुलिस अपराधियों को पकड़ने के लिए दौड़ती है और उसका पता-ठिकाना नहीं मिलता। इसमें उर्वरा की अचानक आव गई है। पहले गुरु सचिन ग्वालियर में दोहरा ठोंक गए तो चेले सहवाग इंदौर में उनके गुरु निकल गए। जिस तरह देश के नेता रोज नए घोटाले उगल रहे हैं, कुरसियां महंगाई उगल रही हैं, सच मानिए अपनी धरती रन उगल रही है। शेन वार्न सपनों में सचिन की बैटिंग देखकर डर जाते थे, अब दुनिया के सारे गेंदबाज मध्यप्रदेश की पिचें देखकर डरा करेंगे। हमारी महान टीम हमेशा की तरह आगे जब भी विदेशी धरती पर हारेगी तो दुश्मनों को यह कहकर डराएगी कि चलना मध्यप्रदेश बताएंगे। विदेशी टीमों के गेंदबाज अपने-अपने बोर्ड से फरियाद करेंगे हमें सरेआम फांसी पर भले लटका दो, लेकिन ग्वालियर और इंदौर गेंदबाजी करने के लिए मत भेजो। वहां जाकर हर बल्लेबाज गेंदबाज को मुर्गा बना देता है। गेंदबाजी ऐसे नकली दिखने लगती है जैसे अन्ना के आंदोलन के सामने केंद्र की सरकार।


वैसे
तो इन दिनों अपनी धरती को कोई जवाब नहीं। पन्ना में हीरे उगलने वाली इस धरती का चमत्कार है सरकार में बैठे उसके नायाब हीरे खनन घोटाला उगल रहे हैं। वे पत्थर को सोना बना रहे हैं और भ्रष्टाचार के कीर्तिमान पर कीर्तिमान गढ़े जा रहे हैं। यह इतने बड़े-बड़े भू-माफिया उगल रही है कि वे माटी को अनमोल किए दे रहे हैं। इनका पेट देखकर गणपति बब्बा का पेट भी शरमा जाए। पूरे शहर का नक्शा इनके पेट के अंदर। किसानों की जमीनें इनके उदर में। बेचारे गणेश लड्डू खाकर बदनाम हो गए और पेट फुला बैठे। ये हर कौर में जमीन का भोग लगाते हैं और डकार तक नहीं लेते। दानी इतने हैं कि पुलिस विभाग से लेकर राजस्व विभाग तक का पेट भरते हैं। इसलिए कोई इनपर कुदृष्टि नहीं डालता। जनता वेस्टइंडीज के गेंदबाजों की तरह हाय-हाय किए जा रही है और ये सहवाग बनकर चौके-छक्के जड़े पड़े हैं।


इतनी
उपजाऊ जमीन में भी हमारी सरकारों की बुद्घि में अंकुर नहीं फूटता। ले-दे के प्रदेश में कुल दो स्टेडियम। अब इन दो स्टेडियमों में कितने मैच होंगे। इस जमीन में जिस तरह रनों की फसल लहलहा रही है, उस हिसाब से प्रदेश के हर शहर में क्या, हर मोहल्ले में एक स्टेडियम होना चाहिए। बाहर से आने वाली हर क्रिकेट टीम को यहीं अपनी औकात दिखाने का मौका देना चाहिए। इस धरती को क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड नौ मैचों की मेजबानी करने का मौका और दे दे, फिर देखिएगा भारतीय टीम के हर खिलाड़ी के पास कम से कम एक दोहरा शतक तो होगा ही। लार्ड् वाले अपने मैदान को भले क्रिकेट का मक्का कहें, लेकिन हज करने अब वे मध्यप्रदेश ही आएंगे।

छंद चिकोटी

नेता खेले रात-दिन, यहां 'डबल' का खेल।

सचिन और सहवाग फिर, होते कैसे फेल॥

बढ़ता जाता जिस तरह, मंत्री का भंडार।

यहां रनों का लग गया, उसी तरह अंबार॥

उसको उतना मिल गया, जिसका जितना भाग।

सचिन ग्वालियर के हुए, इंदौरी सहवाग।

-ओम द्विवेदी

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