सोमवार, 23 अप्रैल 2012

सौ शतकों की तरह सौ साल जियो


क्रिकेट के खुदा को चाहने वाले अगर हर मैच में उससे शतक की उम्मीद करते हैं तो खुदा से यह दुआ भी मागते हैं कि वह निरंतर मैदान पर डटा रहे। जिस शख्स का नाम सचिन तेंडुलकर है वह अपने शतकों की तरह सौ साल जिए और उसका हर साल उसके रनों की तरह हजारों में हो। उसके जीवन में रोमांच भी उसके खेल की तरह विस्फोटक, कलात्मक, संगीतमय और मर्यादित हो। उसके हाथ में बल्ला इंद्र के वज्र की तरह शत्रुओं का दंभ चूर-चूर करने वाला हो। वह जब तक मैदान पर रहे तो उसके दुश्मन उसे देख-देखकर जलें। उसकी उपस्थिति पर रंज करें। उसकी रणनीतियों के समक्ष घुटने टेकें।

उसे देख-देखकर माताएं यह कामना करती रहें कि उन्हें भी सचिन जैसा बेटा हो। हर गुरु सचिन जैसे शिष्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना करे, हर बेटा सचिन जैसा पिता चाहे। उसके बल्ले के सामने कीर्तिमान नतमस्तक खड़े रहें। उसके बुलंद इरादों पर हिंदुस्तानी गर्व करें और उसके समर्पण पर भारत माता। सचिन का कद इतना ऊंचा हो कि हर ऊंचाई उसके सामने खुद को बौना समझे। वह जिए तो ऐसा जिए कि जिंदगी उस पर फख्र करे और जीने वाले उससे जीना सीखें। क्रिकेट के इस बादशाह से उसके चाहने वाले शतकों के कुछ और गीत, रनों के कुछ और किस्से सुनना चाहते हैं। उसके बल्ले से निकली हुई रनों की संगीत लहरियों में गोते लगाना चाहते हैं। उसके समक्ष कुछ और दुश्मनों को पराजित होते तो कुछ और दिलों को उस पर कुर्बान होते देखना चाहते हैं।

अगर चाहने वालों की उम्र से किसी की उम्र बढ़ती है तो करोड़ों लोग उसे अपनी उम्र देना चाहते हैं। अगर मुरीदों का यौवन किसी को मिल सकता है तो लाखों लोग अपनी जवानी क्रिकेट के इस भगवान को सौपने को बेताब हैं। अगर बच्चे अपना बचपना किसी को तोहफे में दे सकते तो इसे ही देते और कहते कि फिर से खेलना शुरू करो एक ऐसी अखंड पारी जो कभी खंडित हो सके। सच मानो जब तुम मैदान पर होते हो कितने हाथ तुम्हारे लिए जुड़े होते हैं, तुम जब दुखी होते हो कितनी आंखें आंसुओं से तर होती हैं, तुम जब अपनी लय में होते हो कितने दिल खुशी से बल्लियों उछलते हैं, मैदान में तुम्हारी अनुपस्थिति की आशंका मात्र से कितने हिंदुस्तानी अपने दिल की धड़कनों को सहेजने लगते हैं। तुम जियो आकाश की निस्सीमता, धरती के धीरज, सागर की गहराई, पानी की तरलता और सूरज की ताप की तरह। इस महादेश में तुम्हारे करोड़ों चहेते तुम्हारे नाम से जिंदा हैं सचिन।
  • ओम द्विवेदी
(सचिन के जन्मदिन पर मेरा यह आलेख नईदुनिया इंदौर के प्रथम पेज पर छपा है। चूंकि मैं सुनील गावस्कर, रवि शास्त्री, संजय जगदाले, सुशील दोषी, नरेंद्र हिरवानी नहीं हूं, इसलिए वहां आलेख के साथ मेरा नाम नहीं है।) -ब्लॉगर

कोई टिप्पणी नहीं: