शनिवार, 7 जनवरी 2012

लो आ गया नया साल


नया साल गया भइया। नए के दुश्मन भले ही इस षडयंत्र में लगे रहे हों कि लोकपाल की तरह यह आए, सरकार की तरह पुराना ही साल चलता रहे, लेकिन वो सिर उठाकर और सीना तानकर गया। किसी में दम हो तो उसकी राह रोककर बताए। दो हजार ग्यारह सालों से लगातार रहा है, कोई माई का लाल नहीं रोक पाया तो भला इस साल किसने शेरनी का दूध पिया है। पुराने साल को इतिहास के ताबूत में डालकर और पुराने कैलेंडर को खूंटी से उतारकर वह दीवार पर चढ़ चुका है। नई योजनाओं और नए सपनों के भक्षण के लिए भूख से तड़प रहा है। भलाई इसी में है कि हम उसकी क्षुधा शांत करें, उसके आगे नतमस्तक हों और उसकी जयकार करें।

नए साल कि दिली ख्वाहिश है कि उसका इस्तकबाल नए अंदाज में हो। पार्टी हाईकमान की तरह अपने स्वागत के लिए उसने कुछ टिप्स दिए हैं। बीते साल की आखिरी रात से लेकर नए साल की पहली सुबह तक हाला की ऐसी बारिश होनी चाहिए कि मधुशालाएं खाली हो जाएं। नृत्यों की ऐसी महफिलें सजनी चाहिए कि कथक डिस्को हो जाए और कुचीपुड़ी रॉक। सड़कों पर पदयात्री से लेकर नाना प्रकार के छोटे-बड़े वाहन भी झूमते हुए चलें। हर कंठ गाता हुआ मिले। नववर्ष की शुभकामनाएं दें तो गाकर दें, गाली दें तो गाकर दें, अखबार-उपन्यास कुछ भी पढ़ें तो गाकर पढ़ें। समूचा साहित्य मोबाइल के मैसेज बॉक्स में समाहित हो जाए। शुभकामनाएं देने के लिए संदेशों में नए-नए शेर कहे जाएं, नए-नए छंद गढ़े जाएं। युवतियां इस तरह का वस्त्र धारण करें कि उनके सौंदर्य और देश की गरीबी का पता चले। पुरुष धोती और कुरता तथा स्त्रियां साड़ियां पहनकर अपनी काया का अपमान करें। भोजन में केक-शेक से लेकर कबाब-शबाब को जगह दें। शाकाहार की दुर्गंध से माहौल को खराब करें। अधिक से अधिक शुभकामनाएं अंगरेजी में दी जाएं। ऐसा लगना चाहिए कि अंगरेजों का साल नहीं, स्वयं अंगरेज रहे हैं।

लोगों को नए-नए संकल्प लेते हुए देखना भी नए साल को बहुत भाता है। इसलिए उसकी इच्छा है कि लोग खूब संकल्प लें। व्यक्तिगत रूप से भी लें और सामूहिक रूप से भी लें। जिन लोगों ने पिछले साल झूठ बोलने, भ्रष्टाचार करने, रिश्वत लेने, आम आदमी को ठगने का संकल्प लिया था, वे पुनः लें। नए साल में संकल्प लेने से बहुत पुण्य मिलता है और सालभर संकल्प के खिलाफ काम करने की आजादी मिलती है। सालभर बेइमानी करनी इसलिए भी जरूरी रहती है ताकि नए साल में इमानदारी की अच्छी शपथ ली जा सके। जिन लोगों को सच की शपथ लेने के बाद झूठ परेशान करता है, वे बेइमानी को इमानदारी पूर्वक करने की शपथ ले सकते हैं। इससे सच और झूठ दोनों सध जाएगा। शराब पीने वाले शराब छोड़ने और गुटखा खाने वाले हमेशा की तरह गुटखा छोड़ने का संकल्प ले सकते हैं, दफ्तर में फाइलों को फंफूद के हवाले करने वाले लोग उनके तर्पण का संकल्प ले सकते हैं। सूर्योदय के पूर्व बिस्तर छोड़ने का संकल्प तो अभूतपूर्व है। पिछले सैकड़ों वर्षों की तरह इस वर्ष भी गांधीवाद, मार्क्सवाद, राष्ट्रवाद, लोहियावाद और आंबेडकरवाद जैसी जन लुभावनी शपथ ली जा सकती है। अन्नावाद की नई शपथ भी चुनावी बुखार के ताप को कुछ कम कर सकती है। जो लोग सपनों की खेती करते हैं उनके लिए तो नया साल सोने पे सुहागा है। पहला दिन आते ही आंखों में सपनों के बीज अंकुर पड़ते हैं। जनवरी से दिसंबर तक सपनों की फसल काटने के लिए तैयार रहती है। फसल को भले पाला मार जाए या उसमें आग लग जाए, उनके पास सपनों का हाईब्रिड बीज हमेशा तैयार रहता है। नए-नए सपने उगाने का संकल्प लें।

नए साल को भविष्यवाणियां सुनना भी बहुत रुचिकर लगता है। उसने ज्योतिषियों से कह रखा है कि वे उसके बारे में नई-नई गणनाएं करें। दिन, महीने और साल के हिसाब से उसका भविष्य बताएं। टीवी के हर चैनल पर उसने एक-एक भविष्यवक्ता को रोजगार दे दिया है। कुछ लोग तो नौकरी बचाने के लिए तीन साल पुराना भाविष्य ही सुनाए पड़े हैं। जिन राशियों पर तीन साल पहले शनि की कुदृष्टि थी, आने वाले साल में भी बनी हुई है। उन ग्रहों की दशा सुधारने वाले ठेकेदार भी जगह-जगह जमे हुए हैं। टीका, चोटी, सुमरनी का श्रृंगार देखकर नया साल गदगद है। तो नया साल गया है, उसका दिल तोड़ें, उसे उसकी पसंद का भोग अवश्य लगाएं।

छंद चिकोटी

नए साल के नाम पर, नए तरह का शोर।

दारू में बीती निशा, और नशे में भोर॥

चली पार्टी रातभर, नाचे सारे लोग।

सात समंदर पार से, आया कैसा रोग॥

अंगरेजी शुभकामना, अंगरेजी संदेश।

नए साल में बांटता, अपना हिंदी देश॥

-ओम द्विवेदी

कोई टिप्पणी नहीं: