ताकतवर
सरकार थी, चौकस पहरेदार।
मावस
ने अगवा किया, सूरज का परिवार।।
मान
रहे थे तुम्हे जो, सच में पालनहार।
लाशें उनकी बिछी हैं, आज तुम्हारे द्वार।।
लाशें उनकी बिछी हैं, आज तुम्हारे द्वार।।
लड़ता
है संसार से, जो जीवनभर युद्ध।
अंत समय में वही फिर, बन जाता है बुद्ध।।
अंत समय में वही फिर, बन जाता है बुद्ध।।
भले
तोप गरजे कहीं, चले कहीं बंदूक।
अमराई में बैठकर, कोयल गाती कूक।।
अमराई में बैठकर, कोयल गाती कूक।।
सुख
पर दावा सभी का, क्या घर क्या संसार।
नहीं
मिला है आज तक, दुःख का हिस्सेदार।।
पहले
अपने हाथ से, काटें अपने पैर।
फिर दुनिया से यह कहें, ख़ुदा न करता ख़ैर।।
फिर दुनिया से यह कहें, ख़ुदा न करता ख़ैर।।
ज़हर
नदी में घोलकर, सागर को दी आह।
उसने बादल भेजकर, पल में किया तबाह।।
उसने बादल भेजकर, पल में किया तबाह।।
बादल
चुकता कर रहे, इस धरती का क़र्ज़।
लेन-देन यह युगों का, हर पत्ते पर दर्ज़।।
लेन-देन यह युगों का, हर पत्ते पर दर्ज़।।
बादल फिर गिरने लगे, फिर से रोया गाँव।
सड़ी-गली दीवार पर, खपरैले की छाँव।।
सड़ी-गली दीवार पर, खपरैले की छाँव।।
भोले-भले
पिताजी, माफ़ करें अब आप।
बड़ी सफलता के लिए, बड़ा चाहिए बाप।।
बड़ी सफलता के लिए, बड़ा चाहिए बाप।।
कोई
खाई की तरह, कोई दिखे पहाड़।
घिघियाता
अक्सर मिला, जिसके
पास दहाड़।।
-ओम द्विवेदी
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