गुरुवार, 7 मार्च 2013
आइए बधाइयाँ दें उसे
पहले उसके साथ बलात्कार करो
फिर उसे कहो निर्भया और बहादुर
पहले उसे दासी बनाओ
फिर कहो देवी
पहले कुचलो उसके सपनों को
फिर बताओ सपनों से सुन्दर
तीन सौ चौंसठ दिन जिसे मनुष्य कहने में
कांपती रही हमारी जीभ
आइए बधाइयाँ दें उसे।
ओम द्विवेदी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें