ये जो काम करना है, वो कर जाने से डरता है।
तू अपनी बात के पीछे, ये सर जाने से डरता है।
सड़क के बीच ट्रैफिक में फंसा कमज़ोर एक बूढ़ा
इधर आने से डरता है, उधर जाने से डरता है।
तू कांटा है तो तेरा फ़र्ज़ है गुलशन की रखवाली
अगर तू फूल है तो क्यों बिखर जाने से डरता है।
बदन के घाव दिखलाकर जो अपने पेट भरता है
सुना है वो भिखारी ज़ख़्म भर जाने से डरता है।
मै शिक्षक हूँ मुझे मालूम है तुम भी समझ लेना
जो बच्चा घर से भागा है, वो घर जाने से डरता है।
तवायफ़ के बुढ़ापे सी है तेरी ज़िन्दगी बैजू
मरने के लिए तैयार बैठा है, मर जाने से डरता है।
(बैजू मेरे प्रिय कवि हैं। उनका कोई कविता संग्रह अभी तक नहीं आया है। शायद किसी प्रकाशक का दिल-गुर्दा इतना मज़बूत नहीं कि उन्हें छापे। वे लोगों के दिलों में राज करते हैं। ग्वालियर से अगर तानसेन ने हिंदुस्तान को संगीत दिया है तो बैजू ने कविताई दी है।)
तू अपनी बात के पीछे, ये सर जाने से डरता है।
सड़क के बीच ट्रैफिक में फंसा कमज़ोर एक बूढ़ा
इधर आने से डरता है, उधर जाने से डरता है।
तू कांटा है तो तेरा फ़र्ज़ है गुलशन की रखवाली
अगर तू फूल है तो क्यों बिखर जाने से डरता है।
बदन के घाव दिखलाकर जो अपने पेट भरता है
सुना है वो भिखारी ज़ख़्म भर जाने से डरता है।
मै शिक्षक हूँ मुझे मालूम है तुम भी समझ लेना
जो बच्चा घर से भागा है, वो घर जाने से डरता है।
तवायफ़ के बुढ़ापे सी है तेरी ज़िन्दगी बैजू
मरने के लिए तैयार बैठा है, मर जाने से डरता है।
- बैजू कानूनगो
(बैजू मेरे प्रिय कवि हैं। उनका कोई कविता संग्रह अभी तक नहीं आया है। शायद किसी प्रकाशक का दिल-गुर्दा इतना मज़बूत नहीं कि उन्हें छापे। वे लोगों के दिलों में राज करते हैं। ग्वालियर से अगर तानसेन ने हिंदुस्तान को संगीत दिया है तो बैजू ने कविताई दी है।)
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