परदे के पीछे हैं अभी भी कई किरदार
कई कहानियां लिखी जानी बाकी हैं
कई पात्र अभी भी नहीं जिए गए हैं
कई मुखौटे बनने शेष हैं अभी
स्पॉट लाइट में साकार होना है
अभी भी एक निराकार।
एक पटकथा के लिए
अपने भीतर कई-कई समुद्र मथ रहा है लेखक
निर्देशक को सपने में झकझोरता है अभिनेता
दर्शकों की ताली के लिए अभी भी ज़िंदा है
कलाकारों की भूख।
चाह बाकी है चांद छूने की
नीरस समय में नौ रस होने की
मंच पर रंगों की भूमिका निभाने की
भरत मुनि के साथ वेद पांचवां पढ़ने की
नाटक जारी है मेरे दोस्त
नाटक जारी रहेगा मेरे दोस्त...!
सभी रंगकर्मियों और रंगकर्म को चाहने वालों को मेरा सलाम!
-ओम द्विवेदी
कई कहानियां लिखी जानी बाकी हैं
कई पात्र अभी भी नहीं जिए गए हैं
कई मुखौटे बनने शेष हैं अभी
स्पॉट लाइट में साकार होना है
अभी भी एक निराकार।
एक पटकथा के लिए
अपने भीतर कई-कई समुद्र मथ रहा है लेखक
निर्देशक को सपने में झकझोरता है अभिनेता
दर्शकों की ताली के लिए अभी भी ज़िंदा है
कलाकारों की भूख।
चाह बाकी है चांद छूने की
नीरस समय में नौ रस होने की
मंच पर रंगों की भूमिका निभाने की
भरत मुनि के साथ वेद पांचवां पढ़ने की
नाटक जारी है मेरे दोस्त
नाटक जारी रहेगा मेरे दोस्त...!
सभी रंगकर्मियों और रंगकर्म को चाहने वालों को मेरा सलाम!
-ओम द्विवेदी
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