गुरुवार, 4 मार्च 2010

अद्‌भुत...अकल्पनीय...

दोस्तों, कई महीनों बाद ब्लॉग पर अपना मिलना हो रहा है। ग्वालियर में सचिन तेंदुलकर ने २०० रन बनाकर एकदिवसीय मैचों के इतिहास में विश्व कीर्तिमान रचा। २४ फरवरी को ही नईदुनिया के लिए मैंने यह टिप्पणी लिखी। पोस्ट करने का लोभ संवरण नहीं कर पा रहा। विलंब के लिए क्षमा याचना सहित...

अद्‌भुत...अकल्पनीय...अविश्वसनीय...अविस्मरणीय...अद्वितीय...अतुलनीय...शब्दकोष में इस तरह के जितने भी शब्द हैं, आज इस बल्लेबाजी पर कुर्बान। ग्वालियर किले की प्राचीरों से इतिहास सचिन की क्रिकेट कला प्रदर्शनी देखने के लिए बार-बार सिर उठा रहा था। मजार से मियाँ तानसेन झाँक रहे थे कि कौन है जो गले से नहीं बल्ले से राग हिंडोल, मुलतानी , मालकोस और यमन सुना रहा है... कौन है जो करोड़ों लोगों को सम्मोहित किए हुए लकड़ी के बल्ले से ही कभी दादरा तो कभी ठुमरी गा रहा है। बल्ले की गायकी ऐसी कि विलंबित में आत्मा निचुड़ जाए और द्रुत ऐसा कि लगे कहीं धड़कनों की रफ्तार न ठहर जाए! जिस खेल को गोरे अपना कहते हैं, वह सचिन के हाथों ग्वालियर में धन्य हुआ। खेल के रसिकों ने कैप्टन रूपसिंह मैदान में किक्रेट की सर्वोत्कृष्ठ पारी देखी, संगीत प्रेमियों ने तानसेन समारोह का आनंद लिया तो शायरी के चाहने वालों के लिए लिटिल मास्टर का हर अंदाज गालिब और मीर का शेर था। उनकी अदा में कभी बिहारी का श्रृंगार था तो कभी नजरूल की क्रांति। जिन्होंने भी यह पारी देखी उन्होंने क्रिकेट का शाही स्नान किया। महाकुंभ में पवित्र हुए। जो चूक गए वे तब-तब पछताएँगे, जब-जब इस महान पारी का जिक्र होगा।

सचिन की इस पारी से भारतीय क्रिकेट की छाती गजों चौड़ी हो गई है। क्रिकेट के हमारे पूवर्जों का तर्पण तो हुआ ही, स्वर्ग में बैठे डॉन ब्रेडमैन ने भी यह मैच देखकर सचिन का कद नापा होगा। दुनिया के वे किक्रेटर, जिन्हें सचिन के आसपास होने का भ्रम है जल भुन गए होंगे। जिन्होंने भी कभी हाथ में बल्ला पकड़ा होगा, उनके लिए एक बार फिर सचिन 'सुमेरु' हो गए। किक्रेट की दुनिया के बड़े-बड़े धुरंधर चार-छः साल मैदान में बिताने के बाद 'सन्यास' ले लेते हैं, लेकिन सचिन पिछले बीस वर्षों से एक दृढ 'सन्यासी' की तरह मैदान में साधनारत हैं और बल्ला कीर्तिमानों की फसल काट रहा है। ईश्वर ने अगर सचिन को क्रिकेट के लिए गढ़ा है तो सचिन ने क्रिकेट को अपने लिए।

ग्वालियर में सचिन क्रिकेट में नए राग की रचना कर रहे थे, क्रिकेट की किताब में निराला की तरह नया छंद गढ़ रहे थे, लियोनार्दो द विंची की तरह कोई मोनालिसा बना रहे थे।जिन्होंने भी यह मैच देखा उन्हें यकीन नहीं हो रहा था वे किक्रेट देख रहे हैं या कोई चमत्कार है जो उनकी आँखों के सामने घटित हो रहा है। वे अपनी एकाग्रता, कौशल और कलात्मकता से एकदिवसीय क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसा हिमालय बना रहे थे, जिससे टकराकर पूर्व-पश्चिम की सारी हवाएँ शर्म से पानी-पानी हो जाएँ। इस हिमालय के समक्ष कुछ मस्तक श्रद्घा से नत हैं तो कुछ इसकी ताकत के आगे।

सचिन ने क्रिकेट को जिस तरह अश्वमेध यज्ञ की तरह साधा है, पूजा है और दिग्विजयी हुए हैं, निकट भविष्य में उनके छोड़े अश्व को पकड़ पाना किसी भी क्रिकेट के भूपति के वश की बात नहीं। क्रिकेट की इस मीनार को सलाम। इस ताजमहल को लाखों बोसे। देश की इस धड़कन को प्यार।


-ओम द्विवेदी

5 टिप्‍पणियां:

संजय कुमार चौरसिया ने कहा…

27 march ko 27february kariye sir

अविनाश वाचस्पति ने कहा…

तारीख से नहीं पड़ता कोई असर
आपने पढ़ा तो ध्‍यान से
बात पहुंच गई है
बात पहुंचनी चाहिए
जब ओम जी तक पहुंचेगी
तो वे भी ठीक कर देंगे।

पर जो लिखा है अच्‍छा और सच्‍चा लिखा है
मैं तो इसमें व्‍यंग्‍य तलाशता रहा
पर आपने तलाश लिया शुक्रिया।

Udan Tashtari ने कहा…

सचिन...जिन्दाबाद!

संदीप कुमार ने कहा…

ओम भाई आपका लेख उसी दिन पढ़ लिया था जिस दिन अखबार में आया था प्रतिक्रिया आपको मौखिक ही दे दी थी। शानदार भावनापूरित आलेख है। पहले किए गए व्यक्तिगत अनुरोध को सार्वजनिक कर रहा हूं ब्लाग पर जल्द आया करें इतना इंतजार कराना ठीक नहीं।

vivek. ने कहा…

बल्ले की गायकी ऐसी कि विलंबित में आत्मा निचुड़ जाए और द्रुत ऐसा कि लगे कहीं धड़कनों की रफ्तार न ठहर जाए!

सचिन क्रिकेट में नए राग की रचना कर रहे थे, क्रिकेट की किताब में निराला की तरह नया छंद गढ़ रहे थे, लियोनार्दो द विंची की तरह कोई मोनालिसा बना रहे थे।जिन्होंने भी यह मैच देखा उन्हें यकीन नहीं हो रहा था वे किक्रेट देख रहे हैं या कोई चमत्कार है जो उनकी आँखों के सामने घटित हो रहा है। वे अपनी एकाग्रता, कौशल और कलात्मकता से एकदिवसीय क्रिकेट के इतिहास में एक ऐसा हिमालय बना रहे थे, जिससे टकराकर पूर्व-पश्चिम की सारी हवाएँ शर्म से पानी-पानी हो जाएँ।
Wah!! aisi ballebaji aur aisi lekhni par kaun na mar jaye... Bahut achha laga.. aapka likhna wapas lautna dono..